स्त्री-पुरुष जोड़ों के लिए नादब्रह्म

ओशो ने इस विधि का एक भिन्न रूप जोड़ों के लिए दिया है। स्त्री और पुरुष आमने-सामने बैठ अपने हाथ क्रॉस करके एक दूसरे के हाथ पकड़ लेते हैं फिर पूरा शरीर एक बड़े कपड़े से ढंक लेते हैं। यदि वे निर्वस्त्र हों तो अच्छा होगा। कमरे में मंद प्रकाश हो जैसे छोटी-छोटी चार मोमबत्तियां जल रही हों । केवल इस ध्यान के लिए अलग रखी एक अगरबत्ती का उपयोग कर सकते हैं। आंखें बंद कर लें और तीस मिनट तक, एक साथ, भौरे की गुंजार करें। कुछ ही समय में अनुभव होगा कि ऊर्जाएं आपस में मिल रहीं, डूब रहीं और एक हो रही हैं।

Satsang

Chinmaya reviews Shastro’s latest album.

Satsang marks a departure for Shastro from most of what he has done before. Finally his love affair with Indian instrumentation (dating back thirty years to a chance meeting with a baba selling flutes outside the Osho Commune in Pune) and used as colour and timbre on so many of his recordings, bears fruit in music that does more than nod to India.

The Fall of Winter

Chinmaya Dunster reviews Sambodhi Prem’s long awaited new album.

The Fall of Winter is an ambitious creative project, involving a high level of musicianship and varied sonic textures. It has taken seven years to complete, with musicians from around the world to add to Sambodhi Prem’s initial structures.

और लाओत्सु समाधि को उपलब्ध हुआ

और लाओत्सु समाधि को उपलब्ध हुआ

लाओत्सु के जीवन में उल्लेख है: कि वर्षों तक खोज में लगा रहकर भी सत्य की कोई झलक न पा सका। सब चेष्टाएं कीं, सब प्रयास, सब उपाय, सब निष्फल गये। थककर हारा-पराजित एक दिन बैठा है--पतझड़ के दिन हैं--वृक्ष के नीचे। अब न कहीं जाना है, न कुछ पाना है। हार पूरी हो गई। आशा भी नहीं बची है। आशा का कोई तंतुजाल नहीं है जिसके सहारे भविष्य को फैलाया जा सके। अतीत व्यर्थ हुआ, भविष्य भी व्यर्थ हो गया है, यही क्षण बस काफी है। इसके पार वासना के कोई पंख नहीं कि उड़े। संसार तो व्यर्थ हुआ ही, मोक्ष, सत्य, परमात्मा भी व्यर्थ हो गये हैं।

प्रेम का हाथ जहाँ छू दे, वहीं क्रांति

टालस्टाय एक दिन सुबह एक गांव की सडक से निकला।एक भिखारी ने हाथ फैलाया। टालस्टाय ने अपनी जेब तलाशे लेकिन जेब खाली थे।वह सुबह घूमने निकला था और पैसे नहीँ थे। उसने भिखारी को कहा, मित्र ! क्षमा करो, मेरे पास पैसे नहीं हैं, तुम जरूर दुख मानोगे। लेकिन मैं मजबूरी में पड गया हूं। पैसे मेरे पास नहीं हैं। उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, मित्र! क्षमा करो, पैसे मेरे पास नहीँ हैं। उस भिखारी ने कहा कोई बात नहीं। तुमने मित्र कहा, मुझे बहुत कुछ मिल गया। यू काल्ड मी ब्रदर, तुमने मुझे बंधु कहा! और बहुत लोगों ने मुझे अब तक पैसे दिए थे लेकिन तुमने जो दिया है,वह किसी ने भी नहीं दिया था। मैं बहुत अनुगृहीत हूं।