Skip to main content

ओशो – रॉल्फ वाल्डो इमर्सन का व्याख्यान

रॉल्फ वाल्डो इमर्सन के व्याख्यानों में एक बूढ़ी धोबिन निरंतर देखी जाती थी। लोगों को हैरानी हुई: एक अनपढ़ गरीब औरत इमर्सन की गंभीर वार्ताओं को क्या समझती होगी! किसी ने आखिर उससे पूछ ही लिया कि उसकी समझ में क्या आता है? उस बूढ़ी धोबिन ने जो उत्तर दिया, वह अद्भुत था। उसने कहा, “मैं जो नहीं समझती, उसे तो क्या बताऊं। लेकिन, एक बात मैं खूब समझ गई हूँ और पता नहीं कि दूसरे उसे समझे हैं या नहीं। मैं तो अनपढ़ हूँ और मेरे लिए एक ही बात काफी है। उस बात ने मेरा सारा जीवन बदल दिया है। और वह बात क्या है? वह यह है कि मैं भी प्रभु से दूर नहीं हूँ, एक दरिद्र अज्ञानी स्त्री से भी प्रभु दूर नहीं है। प्रभु निकट है- निकट ही नहीं, स्वयं में है। यह छोटा सा सत्य मेरी समझ में आ गया है और अब मैं नहीं समझती कि इससे भी बड़ा कोई और सत्य हो सकता है!”
जीवन बहुत तथ्य जानने से नहीं, किंतु सत्य की एक छोटी – सी अनुभूति से ही परिवर्तित हो जाता है। और, जो बहुत जानने में लगे रहते हैं, वे अक्सर सत्य की उस छोटी-सी चिंगारी से वंचित ही रह जाते हैं जो परिवर्तन लाती है और जिससे जीवन में बोध के नये आयाम उद्घाटित होते हैं।
सत्य की एक किरण ही पर्याप्त है। ग्रंथों का भार जो नहीं कर पाता है, सत्य की एक झलक वह कर दिखाती है। अंधेरे में रौशनी के लिए प्रकाश का वर्णन करने वाले बड़े-बड़े शास्त्र किसी काम के नहीं, मिट्टी का एक दिया जलाना आना ही पर्याप्त है।
The post ओशो – रॉल्फ वाल्डो इमर्सन का व्याख्यान appeared first on Osho Arena.

Blog Author
Osho Lover
Feed category
Hindi Short Stories
Short Stories
ओशो-कथासागर
रॉल्फ वाल्डो इमर्सन

Feed Source

GUID
https://www.oshoarena.com/?p=2057
Reviews
Average: 5 (1 vote)