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What Is Your Identity – Osho
Have you ever thought about it? If somebody asks, “Who are you?” what do you answer? You say your name. The name is not yours, because you came into the world without a name. You came nameless; it is not your property, it has been given to you. And any name, A-B-C-D, would have been useful. It is arbitrary. It is not essential in any way. If you are called “Susan” good; if you are called “Harry” good, it makes no difference. Any name would have been as applicable to you as any other. It is just a label.
ओशो – रॉल्फ वाल्डो इमर्सन का व्याख्यान
रॉल्फ वाल्डो इमर्सन के व्याख्यानों में एक बूढ़ी धोबिन निरंतर देखी जाती थी। लोगों को हैरानी हुई: एक अनपढ़ गरीब औरत इमर्सन की गंभीर वार्ताओं को क्या समझती होगी! किसी ने आखिर उससे पूछ ही लिया कि उसकी समझ में क्या आता है? उस बूढ़ी धोबिन ने जो उत्तर दिया, वह अद्भुत था। उसने कहा, “मैं जो नहीं समझती, उसे तो क्या बताऊं। लेकिन, एक बात मैं खूब समझ गई हूँ और पता नहीं कि दूसरे उसे समझे हैं या नहीं। मैं तो अनपढ़ हूँ और मेरे लिए एक ही बात काफी है। उस बात ने मेरा सारा जीवन बदल दिया है। और वह बात क्या है?
अपनी निजता का सम्मान करो
दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करना बंद करो, क्योंकि यह एक मात्र तरीका है जिससे तुम आत्महत्या कर सकते हो। तुम यहां किसी की भी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए नहीं हो और कोई भी यहां तुम्हारी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए नहीं हैं। दूसरों की अपेक्षाओं के कभी भी शिकार मत बनो और किसी दूसरे को अपनी अपेक्षाओं का शिकार मत बनाओ।यही है जिसे मैं निजता कहता हूं।
प्रेम पाप नही है!
प्रेम यदि पाप है तो फिर संसार में पुण्य कुछ होगा ही नहीं। प्रेम पाप है तो पुण्य असंभव है। क्योंकि पुण्य का सार प्रेम के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं।अगर प्रेम पाप है, तो प्रार्थना भी पाप हो जाएगी। क्योंकि प्रार्थना प्रेम का ही परिशुद्ध रूप है। माना कि प्रेम में कुछ अशुद्धियां हैं, लेकिन पाप नहीं है। सोना अगर अशुद्ध हो तो भी लोहा नहीं है।
केवल अपने अनुभव पे विश्वास करो !
मैं तुम्हें यह भी आगाह कर दूं कि मेरे चले जाने के बाद तुम मेरे आधार से किसी को मत जांचना, क्योंकि फिर तुम्हारा संबंध न बन पाएगा। तुम जब भी किसी को जांचने जाओ तो खुले मन से जांचना; कोई आधार लेकर मत जाना; कोई पक्षपात लेकर मत जाना। सब पक्षपात हटाकर शांत मौन भाव से सुनना। और जो भी तुम सुनो, जल्दी विश्वास कर लेने की कोई भी जरूरत नहीं है, न अविश्वास करने की कोई जरूरत है। दोनों एक जैसे हैं। कुछ लोग सुनते ही से विश्वास कर लेते हैं और कुछ लोग सुनते ही से अविश्वास कर लेते हैं। ये दोनों ही बातें जल्दबाजी की हैं।
किया हुआ ध्यान करना और ध्यान में होना!
एक मित्र ने पूछा है कि किया हुआ ध्यान करना और ध्यान में होना इसमें क्या फर्क है?
क्या आप मृत्यु के लिए तैयार है?
तुम शायद थक चुके हो, लेकिन जीवन की लालशा अभी बाकी है
एक बूढ़ा लकड़हारा जंगल से लौट रहा था। एक बड़ा भारी लकड़ियो का गट्ठर अपने सर में रखा हुआ था।
वह बहुत बूढ़ा था,थक गया था न केवल रोज़-रोज़ के काम काज से थक गया था जीवन से ही थक गया था। जीवन का कोई बहुत मूल्य न रह गया था उसके लिए। जीवन एक थकान भरी पुनरुक्ति था। रोज़-रोज़ वही सुबह जंगल जाना,दिन भर लकड़ियाँ काटना,फिर सांझ गट्ठर लेकर शहर आना। और उसे कुछ याद न था। यही उसका कुल जीवन था।
मुल्ला नसरुद्दीन की सोने की समस्या
मुल्ला नसरुद्दीन पूछता है अपने मनसविद से कि मैं सो नहीं पाता, कोई उपाय मुझे बतायें। सब विचार करके उसके मनसविद ने कहा कि तुम्हें थोड़ी विश्राम की कला सीखनी होगी। तो रात आज तुम स्नान करके आराम से बिस्तर पर लेट जाना और फिर अपने शरीर से थोड़ी बात करना, और शरीर को थोड़ी आज्ञा देना। अंगूठे से शुरू करना; कहना, पैर के अंगूठे सो जाओ—टोज, नाउ गो टु स्लीप। और तब अनुभव करना। फिर कहना—पंजे सो जाओ, फिर पैर सो जाओ। ऐसे ऊपर बढ़ते जाना और आखिर में सिर तक आना। और फिर अंत में आंखों के लिए कहना—”नाउ आइज गो टु स्लीप।’ और आंखों तक आते-आते तुम सो ही चुके होगे।
Shiva Netra Meditation Technique
This third-eye meditation is in two stages, repeated three times – a total of six 10-minute stages.
First Stage: 10 minutes Sit perfectly still and, with eyes softly focused, watch a blue light. Second Stage: 10 minutes Close the eyes and slowly and gently sway from side to side. Repeat three times.
Surprise Me!!
A Hassid Master was dying. He was a very extraordinary human being, of great innocence and joy.
He loved to laugh and dance and sing; that’s the way of the Hassids. Jews don’t think well of them; they think they are untraditional, in fact anti-traditional, but that’s how real spiritual beings have always been treated by the so-called religious, by the formally religious.
The real religious person is always condemned. This Master was also condemned by them. And his ways were always new; he was unconventional, unorthodox.