अपने विचार लिखना!
किसी दिन इस छोटे से प्रयोग को करें। दरवाजे बंद करलें, अपने कमरे में बैठ जाएं और बस अपने विचार लिखना शुरू कर दें- जो भी आपके मन में आए। उसमें काट-छांट न करें, क्योंकि इस कागज को किसी को दिखाने की आवश्यकता नहीं है! दस मिनट तक बस लिखते रहें और फिर उसे पढ़ें। यही है जो आपके भीतर चलता रहता है। यदि आप उन्हें पढ़ेंगे तो आप सोचेंगे कि यह किस पागल का काम है। यदि आप उस कागज को अपने सबसे करीबी मित्र को दिखाएंगे तो वह भी आपको देखेगा और सोचेगा, ''तुम पागल तो नहीं हो गए?''
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