गैर-यांत्रिक होना ही रहस्य है!
अगर हम अपनी क्रियाओं को गैर-यांत्रिक ढंग से कर सकें तो हमारी पूरी जिंदगी ही एक ध्यान बन जाएगी। तब कोई भी छोटा-सा कृत्य जैसे स्नान करना, भोजन करना, मित्रों से बातचीत करना ध्यान बन जाएगा। ध्यान एक गुणवत्ता है, जो किसी भी चीज के साथ जोड़ी जा सकती है। यह कोई अलग से किया गया काम नहीं है। लोग सोचते हैं कि ध्यान भी एक कृत्य है- जब हम पूर्व दिशा में मुंह करके बैठते हैं, किसी मंत्र का जाप करते हैं, धूप-अगरबत्ती जलाते हैं, किसी विशेष समय पर, विशेष मुद्रा में, किसी विशेष ढंग से कुछ करते हैं।
ध्यान का इन बातों से कोई संबंध नहीं है। ये सब ध्यान को यांत्रिक बनाने के तरीके हैं और ध्यान यांत्रिकता के विरोध में है। तो अगर हम होश को संभाले रखें तो कोई भी कार्य ध्यान है, कोई भी क्रिया हमें बहुत सहयोग देगी।
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