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एस धम्मो सनंतनो—भाग एक से बारह

एस धम्मो सनंतनो—भाग एक से बारह

धम्मपद: बुद्ध-वाणी

 

इसलिए मैं कहता हूं, इस सदी में बुद्ध की भाषा बड़ी समसामयिक है, कंटेंप्रेरी है। क्योंकि यह सदी बड़ी ईमानदार सदी है। इतनी ईमानदार सदी पहले कभी हुई नहीं। तुम्हें यह सुन कर थोड़ी परेशानी होगी, तुम थोड़ा चौंकोगे। क्योंकि तुम कहोगे, यह सदी और ईमानदार! सब तरह के बेईमान दिखाई पड़ रहे हैं। लेकिन मैं तुमसे फिर कहता हूं कि इस सदी से ज्यादा ईमानदार सदी कभी नहीं हुई। आदमी अब वही मानेगा, जो जानेगा। नहीं, इस सदी ने साफ कर लिया है कि अब हम वही मानेंगे जो हम जानते हैं। यह सदी विज्ञान की है। तथ्य स्वीकार किए जाते हैं, सिद्धांत नहीं। और तथ्य भी अंधी आंखों से स्वीकार नहीं किए जाते हैं। सब तरफ से खोज-बीन कर ली जाती है, जब असिद्ध करने का कोई उपाय नहीं रह जाता, तभी कोई चीज स्वीकार की जाती है। बुद्ध वैज्ञानिक द्रष्टा हैं। ओशो

 

भगवान बुद्ध की सुललित वाणी धम्मपद पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं 122 OSHO Talks


उद्धरण: एस धम्मो सनंतनो—भाग एक से बारह

मैं इन धम्मपद के वचनों को तराश रहा हूं। तुम्हारे योग्य बना रहा हूं। ढाई हजार साल का खयाल तो करो। ढाई हजार साल में बहुत कुछ बदला है। जब बुद्ध बोले थे, तब फ्रायड नहीं हुआ था; मार्क्स नहीं हुआ था; आइंस्टीन नहीं हुआ था। अब फ्रायड हो चुका है, मार्क्स हो चुका है, आइंस्टीन हो चुका है। इनको कहीं इंतजाम देना पड़ेगा; इनको जगह देनी पड़ेगी; नहीं तो तुम बचकाने मालूम पड़ोगे।...

मैं ढाई हजार साल में जो हुआ है, उसे आंख से ओझल नहीं होने देता। मुझे बुद्ध की कहानी से अपूर्व प्रेम है। इसीलिए जो ढाई हजार साल में हुआ है, उसे मैं समाविष्ट करता हूं। जिस ढंग से मैं कह रहा हूं, उसमें मार्क्स भी भूल नहीं निकाल सकेगा; और फ्रायड भी नहीं निकाल सकेगा; और आइंस्टीन भी नहीं निकाल सकेगा। तो कहानी समसामयिक हो गई। उसकी भाव-भंगिमा बदल गई, उसका रूप बदल गया। उसने नई देह ले ली। उसका पुनर्जन्म हुआ।

यह धम्मपद का पुनर्जन्म है। यह धम्मपद को नई भाषा, नया अर्थ, नई भंगिमा, नई देह, नये प्राण देने का प्रयास है। और जब फिर से जन्म हो जाए धम्मपद का, जैसे बुद्ध आज बोल रहे हों, तभी तुम्हारी आत्मा में संवेग होगा; तभी तुम्हारी आत्मा में रोमांच होगा। तभी तुम आंदोलित होओगे। तभी तुम कंपोगे, डोलोगे।
ओशो

 

अधिक जानकारी
Publisher OSHO Media International
ISBN-13 978-81-7261-355-6
Dimensions (size) 140 x 216 mm
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