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वृक्ष से मैत्री!

वृक्ष से मैत्री!

किसी वृक्ष के पास जाओ, वृक्ष से बातें करें, वृक्ष को छूएं, वृक्ष को गले लगाएं, वृक्ष को महसूस करें, वृक्ष के पास बैठें और वृक्ष को भी महसूस होने दें कि आप एक अच्छे आदमी हैं और आपकी आकांक्षा उसे चोट पहुंचाने की नहीं है।
धीरे-धीरे मैत्री बढ़ेगी और आप महसूस करेंगे कि जब आप आते हैं, तत्क्षण वृक्ष की भाव दशा बदलती है। आपको बिलकुल पता चलेगा। जब आप आएंगे तो वृक्ष की छाल पर बहुत ऊर्जा का प्रवाह अनुभव होगा। आपको स्पष्ट बोध होगा कि जब आप वृक्ष को छूते हैं, तो वह बच्चे की तरह, एक प्रियतम की तरह आनंदित होता है। जब आप वृक्ष के पास बैठेंगे तो आपको कई चीजें खयाल में आने लगेंगी और शीघ्र ही आप महसूस करेंगे कि यदि आप उदास हैं और वृक्ष के पास आए हैं, तो वृक्ष की उपस्थिति मात्र से आपकी उदासी खो गई।
और, केवल तभी आप समझ सकेंगे कि हम सब परस्पर निर्भर हैं। हम वृक्ष को आनंदित कर सकते हैं और वृक्ष हमें आनंदित कर सकते हैं। और, यह पूरा जीवन ही परस्पर निर्भर है। इसी निर्भरता को परमात्मा कहता हूं।