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कहै कबीर दीवाना

कहै कबीर दीवाना 

कबीर अनूठे हैं। और प्रत्येक के लिए उनके द्वारा आशा का द्वार खुलता है।"—ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:

  • भाव और विचार में कैसे फर्क करें?
  • जीवन में गहन पीड़ा के अनुभव से भी वैराग्य का जन्म क्यों नहीं?
  • समाधान तो मिलते हैं, पर समाधि घटित क्यों नहीं होती?
  • भक्ति-साधना में प्रार्थना का क्या स्थान है?
  • समर्पण कब होता है?
  • कबीर की बातें उलटबांसी क्यों लगती हैं?

सामग्री तालिका

अध्याय शीर्षक

    अनुक्रम

    #1: मैं ही इक बौराना

    #2: भगति भजन हरिनाम

    #3: पाइबो रे पाइबो ब्रहमज्ञान

    #4: मन रे जागत रहिये भाई

    #5: गगन मंडल घर कीजै

    #6: जोगी जग थैं न्‍यारा

 

ओशो द्वारा कबीर-वाणी पर प्रश्‍नोतर सहित दिए गए २० अमृत प्रवचनों का संकलन।


उद्धरण: कहे कबीर दीवाना, नौवां प्रवचन

"नीति का सूत्र है, तुम वही करो दूसरों के साथ जो तुम चाहते हो कि दूसरे तुम्हारे साथ करें। इसका परमात्मा, मोक्ष, ध्यान से कोई संबंध नहीं। यह सीधी समाज व्यवस्था है।

धर्म नीति से बहुत ऊपर है। उतने ही ऊपर है, जितना अनीति से ऊपर है। अगर तुम एक त्रिकोण बनाओ, तो नीचे के दो कोण नीति और अनीति के हैं और ऊपर का शिखर कोण धर्म का है। वह दोनों से बराबर फासले पर है। इसलिए धर्म महाक्रांति है। नीति तो छोटी सी क्रांति है, कि तुम पाप छोड़ो। धर्म महाक्रांति है, कि तुम पुण्य भी छोड़ो। पाप तो छोड़ना ही है, पुण्य भी छोड़ना है। क्योंकि जब तक पकड़ है, तब तक तुम रहोगे। पकड़ छोड़ो। कर्ता का भाव चला जाए।

जब पाप पुण्य भ्रम जारि,...
जब पाप और पुण्य दोनों के भ्रम जल गए, तब भयो प्रकाश मुरारी। तभी कोई परमात्मा को उपलब्ध होता है।

कहै कबीर हरि ऐसा, जहां जैसा तहां तैसा।
यह बड़ा अनूठा वचन है। इसे तुम्हारे हृदय में गूंज जाने दो। क्योंकि इससे महत्वपूर्ण परिभाषा परमात्मा की कभी नहीं की गई। हजारों लोगों ने परिभाषा की है, परमात्मा कैसा। लेकिन कबीर की परिभाषा बड़ी-बड़ी ठीक है, एकदम ठीक है। परिभाषा अगर कोई परमात्मा के करीब पहुंचाती है, तो कबीर की पहुंचाती है।

कहै कबीर हरि ऐसा, जहां जैसा तहां तैसा।
क्या मतलब हुआ इसका? यह तो बड़ी बेबूझ मालूम पड़ती है--जहां जैसा, तहां तैसा।

जब मन मिट जाता है, तो तुम पाओगे फूल में परमात्मा फूल। पत्थर में पत्थर, वृक्ष में वृक्ष, सरिता में सरिता, सागर में सागर।"—ओशो

 

अधिक जानकारी
Type फुल सीरीज
Publisher OSHO Media International
ISBN-13 978-81-7261-113-2
Number of Pages 560
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