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जीवन क्रांति के सूत्र

जीवन क्रांति के सूत्र

 

काम-ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन

एक पूछती हुई चेतना, एक जिज्ञासा से भरा हुआ मन, एक ऐसा व्यक्तित्व, जो जो है वहीं ठहर नहीं गया है, बल्कि वह होना चाहता है जो होने के लिए पैदा हुआ है। एक तो ऐसा बीज है जो बीज होकर ही नष्ट हो जाता है और एक ऐसा बीज है जो फूल के खिलने तक की यात्रा करता है, सूरज का साक्षात्कार करता है और अपनी सुगंध से दिग-दिगंत को भर जाता है।

मनुष्य भी दो प्रकार के हैं। एक वे, जो जन्म के साथ ही समाप्त हो जाते हैं। जीते हैं, लेकिन वह जीना उनकी यात्रा नहीं है। वह जीना केवल श्वास लेना है। वह जीना केवल मरने की प्रतीक्षा करना है। उस जीवन का एक ही अर्थ हो सकता है, उम्र। उस जीवन का एक ही अर्थ है, समय को बिता देना। जन्म और मृत्यु के बीच के काल को बिता देने को बहुत लोग जीवन समझ लेते हैं। एक तो ऐसे लोग हैं।

एक वे लोग हैं, जो जन्म को एक बीज मानते हैं और उस बीज के साथ श्रम करते हैं कि जीवन का पौधा विकसित हो सके।

जो जिज्ञासा करते हैं, वे दूसरे तरह के मनुष्य होने का पहला कदम उठाते हैं।

ओशो

अध्याय शीर्षक
    #1: जीवन क्या है?
    #2: काम-ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन
    #3: मनुष्य की चेतना का विज्ञान
    #4: झूठी प्यासों से सावधान
अधिक जानकारी
Type    फुल सीरीज
Publisher    OSHO Media International
ISBN-13    978-81-7261-357-0
Dimensions (size)    127 x 203 mm
Number of Pages    116

 
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