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मैं कौन हूं?

मैं कौन हूं?

क्या आपके भीतर प्रश्र्न है?
क्या आपके भीतर अपना प्रश्र्न है?
क्या जीवन आपके मन में प्रश्र्न नहीं उठाता?
क्या जीवन आपको जिज्ञासा से नहीं भरता?
क्या जीवन आपके सामने यह सवाल खड़ा नहीं करता है कि मैं कौन हूं? यह क्या है?
क्या आप एकदम बहरे और अंधे हैं? क्या आपके हृदय में कोई, कोई जिज्ञासा ही पैदा नहीं होती है?
अगर होती हो कोई जिज्ञासा, अगर होता हो कोई प्रश्र्न खड़ा, अगर होती हो कोई प्यास मन में जानने की, पहचानने की, जीवन के सत्य को पाने की, तो उसे इकट्ठा कर लें और उसे एक प्रश्र्न बन जाने दें। क्योंकि जो और चीजों के संबंध में पूछने जाता है वह दूर निकल गया, उसने बुनियादी प्रश्र्न छोड़ दिया। बुनियादी प्रश्र्न तो स्वयं से शुरू होता है--मैं कौन हूं?
- ओशो
अध्याय शीर्षक
    #1: अज्ञान का बोध
    #2: रहस्य का जन्म
    #3: शून्यता का स्वीकार
    #4: अकेले होने का साहस
    #5: निष्पक्ष चित्त
    #6: ध्यान में श्वास का सर्वाधिक महत्व
    #7: श्वास: ध्यान का द्वार


विवरण
ध्यान साधना पर प्रश्नोत्तर सहित दी गईं ग्यारह OSHO Talks का संग्रह

मैं कौन हूं?
अकेले होने का साहस धर्म का संबंध परमात्मा से नहीं, धर्म का संबंध परलोक से नहीं, धर्म का संबंध मनुष्य के भीतर जो छिपा है--‘मैं जो हूं--उसे जान लेने से है। और यह मैं इसलिए कहना चाहूंगा कि जो यह भी नहीं जानता कि मैं कौन हूं, वह और क्या जान सकेगा? परमात्मा तो बहुत दूर, निकट तो मैं हूं। और निकट को भी जो नहीं जानता, वह दूर को कैसे जान सकेगा? जो स्वयं को नहीं जानता, उसका सब जानना झूठा और मिथ्या है। उसका सब ज्ञान अज्ञान सिद्ध होगा। क्योंकि उसने पहली ही जगह, प्राथमिक, निकटतम अज्ञान का जो घर था वहीं चोट नहीं की, उसने वहीं प्रहार नहीं किया।

‘मैं कौन हूं?’--इस सत्य की खोज से धर्म का संबंध है।

और बड़े रहस्यों का रहस्य यह है कि जो इसको जान लेता है कि मैं कौन हूं, उसके लिए सब-कुछ जानने के द्वार खुल जाते हैं। और जो अपने भीतर ही ताले को खोल लेता है, उसके लिए इस जगत में फिर किसी रहस्य पर कोई ताला नहीं रह जाता। स्वयं को जान लेना सत्य को जान लेने की अनिवार्य शर्त है। लेकिन हम स्वयं को बिना जाने यदि परमात्मा की प्रार्थनाओं में संलग्न हों, तो वे प्रार्थनाएं कोई फल नहीं लाएंगी। और हम स्वयं को जाने बिना यदि शास्त्रों को सिर पर ढो रहे हों, तो वे शास्त्र बोझ हो जाएंगे। उनसे कोई मुक्ति फलित नहीं होगी। स्वयं को जाने बिना हम जो भी करेंगे वह सब बंधन निर्मित करेगा, उससे कोई स्वतंत्रता आने को नहीं है।

‘मैं कौन हूं?’--इस रहस्य पर ही सारी खोज, सारा अन्वेषण है।

अधिक जानकारी
Publisher    OSHO Media International
Dimensions (size)    140 x 216 mm
Number of Pages    226

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