Skip to main content

जिसने स्वयं को जाना

जिसने स्वयं को जाना

प्यारी नीलम,

प्रेम । अंधेरा है बहुत---निश्चय ही
उदासी है ।

मरघट-सी गहरी उदासी है ।

लेकिन, उसका मूल-स्रोत स्वयं का
अज्ञान है ।

जाना जिसने स्वयं को, वह आलोक
से भर जाता है ।

नृत्य करते आनन्दमग्न उत्सव
से भर जाता है ।

{____________}
रजनीश के प्रणाम
८-३-१९७१

प्रति: श्रीमती नीलम अमरजीत, लुधियाना.