जिसने स्वयं को जाना
Anand
Wed, 23/12/2020 - 13:06 pm
प्यारी नीलम,
प्रेम । अंधेरा है बहुत---निश्चय ही
उदासी है ।
मरघट-सी गहरी उदासी है ।
लेकिन, उसका मूल-स्रोत स्वयं का
अज्ञान है ।
जाना जिसने स्वयं को, वह आलोक
से भर जाता है ।
नृत्य करते आनन्दमग्न उत्सव
से भर जाता है ।
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रजनीश के प्रणाम
८-३-१९७१
प्रति: श्रीमती नीलम अमरजीत, लुधियाना.
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