बहुत विचार में न पड़ें
Anand
Wed, 23/12/2020 - 13:03 pm
प्रिय आत्मन्,
प्रेम । आपके दोनों पत्र मिले हैं ।
बहुत विचार में न पड़ें ।
विचार से सत्य तक जाने का कोई
मार्ग नहीं है ।
मार्ग है : ध्यान ।
उसकी ओर जितने बढें़गे, उसी मात्रा में
शान्ति, आनन्द और आत्मा की ओर गति होगी ।
ध्यान जब पूर्ण होता है, तभी अन्तस्-चक्षु
खुलते हैं ।
और, सत्य का साक्षात् होता है ।
सत्य तो सतत मौजूद है, लेकिन हम
अन्धे हैं ।
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रजनीश के प्रणाम
२-३-१९६६
[प्रति: आर० के० नन्दाणी, राजकोट, गुजरात]
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