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सत्य प्रेम की कसौटी

सत्य प्रेम की कसौटी

मेरे प्रिय,

प्रेम । सत्य के मार्ग में काँटे हैं---थोड़े नहीं, बहुत ।

लेकिन, उनमें ही सत्य प्रेम की परीक्षा भी है ।

सत्य के फूल जिन्हें पाना है, उन्हें कॉंटों से गुजरना ही पड़ता है ।

सत्य सस्ता नहीं है ।

कभी नहीं था, और कभी होगा भी नहीं ।

मूल्य चुकाओ---और घबड़ाओ नहीं ।

सूली के पार सिंहासन है ।

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रजनीश के प्रणाम
१४-१२-१९७०

[प्रति : श्री अखिलानन्द तिवारी, धनबाद, बिहार]