ध्यान विज्ञान
जो लोग शरीर के तल पर ज्यादा संवेदनशील हैं, उनके लिए ऐसी विधियां हैं जो शरीर के माध्यम से ही आत्यंतिक अनुभव पर पहुंचा सकती हैं। जो भाव-प्रवण हैं, भावुक प्रकृति के हैं, वे भक्ति-प्रार्थना के मार्ग पर चल सकते हैं। जो बुद्धि-प्रवण हैं, बुद्धिजीवी हैं, उनके लिए ध्यान, सजगता, साक्षीभाव उपयोगी हो सकते हैं।
लेकिन मेरी ध्यान की विधियां एक प्रकार से अलग हट कर हैं। मैंने ऐसी ध्यान-विधियों की संरचना की है जो तीनों प्रकार के लोगों द्वारा उपयोग में लाई जा सकती हैं। उनमें शरीर का भी पूरा उपयोग है, भाव का भी पूरा उपयोग है और होश का भी पूरा उपयोग है।
तीनों का एक साथ उपयोग है और वे अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग ढंग से काम करती हैं। शरीर, हृदय, मन—मेरी सभी ध्यान विधियां इसी शृंखला में काम करती हैं। वे शरीर पर शुरू होती हैं, वे हृदय से गुजरती हैं, वे मन पर पहुंचती हैं और फिर वे मनातीत में अतिक्रमण कर जाती हैं।"—ओशो
सामग्री तालिका
अध्याय शीर्षक
अनुक्रम
#1: सुबह के समय करने वाली ध्यान विधियां
सूर्योदय की प्रतीक्षा
उगते सूरज की प्रशंसा में
सक्रिय ध्यान
मंडल
तकिया पीटना
कुत्ते की तरह हांफना
नटराज
इस क्षण में जीना
स्टॉप
कार्य -- ध्यान की तरह
सृजन में डूब जाएं
गैर-यांत्रिक होना ही रहस्य है
साधारण चाय का आनंद
शांत प्रतीक्षा
कभी, अचानक ऐसे हो जाएं जैसे नहीं हैं
मैं यह नहीं हूं
अपने विचार लिखना
विनोदी चेहरे
पृथ्वी से संपर्क
श्वास को शिथिल करो
इस व्यक्ति को शांति मिले
तनाव विधि
विपरीत पर विचार
अद्वैत
हां का अनुसरण
वृक्ष से मैत्री
क्या तुम यहां हो?
निष्क्रिय ध्यान
आंधी के बाद की निस्तब्धता
निश्चल ध्यानयोग
#2: दिन के समय करने वाली ध्यान विधियां
स्वप्न में सचेतन प्रवेश
यौन-मुद्रा : काम-ऊर्जा के ऊर्ध्वगमन की एक सरल विधि
मूलबंध : ब्रह्मचर्य-उपलब्धि की सरलतम विधि
कल्पना-भोग
मैत्री : प्रभु-मंदिर का द्वार
शांति-सूत्र : नियति की स्वीकृति
मौन और एकांत में इक्कीस दिवसीय प्रयोग
प्राण-साधना
मंत्र-साधना
अंतर्वाणी साधना
संयम साधना-1
संयम साधना-2
संतुलन ध्यान-1
संतुलन ध्यान-2
श्रेष्ठतम क्षण का ध्यान
मैं-तू ध्यान
इंद्रियों को थका डालें
#3: दोपहर के समय करने वाली ध्यान विधियां
श्वास : सबसे गहरा मंत्र
भीतरी आकाश का अंतरिक्ष-यात्री
आकाश सा विराट एवं अणु सा छोटा
एक का अनुभव
आंतरिक मुस्कान
ओशो
देखना ही ध्यान है
शब्दों के बिना देखना
मौन का रंग
सिरदर्द को देखना
ऊर्जा का स्तंभ
गर्भ की शांति
#4: संध्या के समय करने वाली ध्यान विधियां
कुंडलिनी
झूमना
सामूहिक नृत्य
वृक्ष के समान नृत्य
हाथों से नृत्य
सूक्ष्म पर्तों को जगाना
गीत गाओ
गुंजन
नादब्रह्म
स्त्री-पुरुष जोड़ों के लिए नादब्रह्म
कीर्तन
सामूहिक प्रार्थना
मुर्दे की भांति हो जाएं
अग्निशिखा
#5: रात के समय करने वाली ध्यान विधियां
प्रकाश पर ध्यान
बुद्धत्व का अवलोकन
तारे का भीतर प्रवेश
चंद्र ध्यान
ब्रह्मांड के भाव में सोने जाएं
सब काल्पनिक है
ध्यान के भीतर ध्यान
नकारात्मक हो जाएं
हां, हां, हां
एक छोटा, तीव्र कंपन
अपने कवच उतार दो
जीवन और मृत्यु ध्यान
#6: बच्चे की दूध की बोतल
भय में प्रवेश
अपनी शून्यता में प्रवेश
गर्भ में वापस लौटना
आवाजें निकालना
प्रार्थना
लातिहान
गौरीशंकर
देववाणी
प्रेम
झूठे प्रेम खो जाएंगे
प्रेम को फैलाएं
प्रेमी-युगल एक-दूसरे में घुलें-मिलें
प्रेम के प्रति समर्पण
प्रेम-कृत्य को अपने आप होने दो
कृत्यों में साक्षी-भाव
बहना, मिटना, तथाता
अंधकार, अकेले होने, और मिटने का बोध
स्वेच्छा से मृत्यु में प्रवेश
सजग मृत्यु और शरीर से अलग होने की विधि
मृतवत हो जाना
जाति-स्मरण के प्रयोग
अंतर्प्रकाश साधना
शिवनेत्र
त्राटक ध्यान-1
त्राटक ध्यान-2
त्राटक ध्यान-3
रात्रि-ध्यान
विवरण
ओशो द्वारा विभिन्न प्रवचनों में बताई गईं 115 सहज ध्यान विधियोँ का अप्रतिम संकलन।उद्धरण : ध्यान विज्ञान - दिन के समय करने वाली ध्यान विधियाँ - स्वप्न में सचेतन प्रवेश
"तुम्हारे मन का हाल यह है कि मानो तुम फिल्म देखने गए हो। पर्दे पर फिल्म चल रही है और तुम उसे देखने में ऐसे तल्लीन हो कि तुम्हें फिल्म और कहानी के अतिरिक्त सब भूल जाता है। उस समय अगर कोई पूछ दे कि तुम कौन हो, तो तुम कुछ न कह सकोगे।यही स्वप्न में घटता है। और यही हमारी जिंदगी है। फिल्म की घटना तो सिर्फ तीन घंटे की है, लेकिन स्वप्न-क्रिया जन्मों-जन्मों चलती है। और अचानक यदि सपना बंद भी हो जाए तो भी तुम नहीं पहचान पाओगे कि तुम कौन हो। अचानक तुम धुंधला-धुंधला अनुभव करोगे और भयभीत भी। तुम फिर फिल्म में लौट जाना चाहोगे, क्योंकि वह परिचित है। तुम उससे भलीभांति परिचित हो, तुम उसके साथ समायोजित हो।क्योंकि जब स्वप्न तिरोहित होता है तो एक मार्ग खुलता है, खासकर झेन में जिसे त्वरित मार्ग, त्वरित बुद्धत्व का मार्ग कहते हैं। इन एक सौ बारह विधियों में कई ऐसी विधियां हैं जो त्वरित बुद्धत्व को प्राप्त करा सकती हैं।लेकिन वह तुम्हारे लिए अति हो जा सकती है। और हो सकता है कि तुम उसे झेल न पाओ। इस विस्फोट में तुम मर भी सकते हो। क्योंकि सपनों के साथ तुम इतने समय से जी रहे हो कि उनके हटने पर तुम्हें याद ही नहीं रहेगा कि तुम कौन हो।" —ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
गैर-यांत्रिक होना ही रहस्य है
यौन-मुद्रा : काम-ऊर्जा के ऊर्ध्वगमन की एक सरल विधि
मौन और एकांत का इक्कीस दिवसीय प्रयोग
ध्यान के भीतर ध्यान
बहना-मिटना-तथाता ध्यान
अधिक जानकारी
Type संकलन
Publisher Divyansh Pub.
ISBN-13 978-81-7261-169-9
Number of Pages 192
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