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ध्यान के बीज से सत्य-जीवन का अंकुरण

ध्यान के बीज से सत्य-जीवन का अंकुरण

परम प्रिय,

प्रेम । पत्र मिले हैं ।

धैर्य से समय की प्रतीक्षा करें ।

बीज बो दिये गये हैं, निश्चय ही समय पाकर
वे अंकुरित होंगे ।

अति जल्दी में हानि ही पहुँच सकती है ।

ध्यान के बीज से सत्य जीवन का
अंकुरण होगा ही ।

लेकिन, अत्यन्त प्रेमपूर्ण प्रतीक्षा
आवश्यक है ।

और, मैं निश्चिन्त हूँ, क्योंकि मैं जानता हूँ
कि आप अनन्त प्रतीक्षा के लिये भी समर्थ हैं ।

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रजनीश के प्रणाम
२-१२-१९६६

[प्रति : श्री आर० के० नन्दाणी, राजकोट]