निष्प्रश्न चित्त में सत्य का आविर्भाव
osho
Wed, 23/12/2020 - 14:06 pm
मेरे प्रिय,
प्रेम । आपका पत्र पाकर बहुत
आनन्दित हूँ ।
प्यास हो सत्य की, तो एेसी हो ।
आह ! प्रश्न भी नहीं है !
तब जान रखना कि उत्तर भी
दूर नहीं है ।
निष्प्रश्न चित्त में ही तो वह
उपलब्ध होता है ।
वहाँ सबको मेरे प्रणाम ।
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रजनीश के प्रणाम
२-१२-१९६७
[प्रति: श्री चन्द्रकान्त पी० सोलंकी, गुजरात]
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