ध्यान दर्शन
ध्या्न दर्शन’ एक छोटी सी पुस्तक है जो साधना-पथ का मूल आधार बन सकती है। ओशो कहते हैं: जीवन के दो आयाम हैं—पहले जानना, फिर करना, जिसे हम विज्ञान का नाम देते हैं। दूसरा आयाम है—पहले करना, फिर जानना, जिसे हम धर्म का नाम देते हैं।
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
डाइनैमिक ध्यान-प्रयोग की उपयोगिता
ध्यान: आध्यात्मिक विज्ञान
ध्यान से स्वास्थ्य का क्या संबंध है?
कैथार्सिस, रेचन और आपका स्वास्थ्य
साउंड थेरेपी, ध्वनि-चिकित्सा और आपका स्वास्थ्य
संकल्प का मूल्य
सामग्री तालिका
अध्याय शीर्षक
#1: ध्यानः नया जन्म
#2: ध्यानः स्वयं में डुबकी
#3: ध्यानः गुह्य आयामों में प्रवेश
#4: ध्यानः आध्यात्मिक विज्ञान
#5: संन्यासः एक संकल्प,
#6: ध्यानः सीधी छलांग
#7: ध्यानः समाधि की भूमिका
#8: ध्यानः भीतर की यात्रा
#9: ध्यानः परम स्वास्थ्य का द्वार
#10: ध्यानः प्यास का अनुसरण
विवरण
ध्यान साधना शिविर, मुंबई में ध्यान-प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं दस OSHO Talks
उद्धरण : ध्यान दर्शन
जैसे ही हम ध्यान में गिरते हैं, जैसे हमारी चेतना की बूंद ब्रह्म में गिर जाती है, फिर हम कहीं नहीं होते। और जब हम कहीं नहीं होते, तभी शांति और तभी आनंद और तभी अमृत का जन्म होता है।
जब तक हम हैं, तब तक दुख है। जब तक हम हैं, तब तक पीड़ा है। जब तक हम हैं, तब तक परेशानी है। हमारा होना ही एंग्विश है, संताप है। वह हमारा अहंकार ही सारे दुखों की जड़ और आधार है। जब वह नहीं है, जब हम कह सकते हैं कि अभी मैं या तो कहीं भी नहीं हूं या सब जगह हूं, उसी क्षण आनंद का उदगम स्रोत शुरू हो जाता है। ओशो
इस पुस्तक में ओशो निम्नलिखित विषयों पर बोले हैं:
डाइनैमिक ध्यान-प्रयोग, बहिर्यात्रा, अंतर्यात्रा, आध्यात्मिक विज्ञान, ध्यान और स्वास्थ्य, रेचन, ध्वनि-चिकित्सा, शांति, आनंद, संकल्प
अधिक जानकारी
Publisher OSHO Media International
ISBN-13 978-81-7261-111-8
Dimensions (size) 127 x 203 mm
Number of Pages 164
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