जीवन संगीत
जीवन संगीत
जो वीणा से संगीत के पैदा होने का नियम है, वही जीवन-वीणा से संगीत पैदा होने का नियम भी है। जीवन-वीणा की भी एक ऐसी अवस्था है, जब न तो उत्तेजना इस तरफ होती है, न उस तरफ। न खिंचाव इस तरफ होता है, न उस तरफ। और तार मध्य में होते हैं। तब न दुख होता है, न सुख होता है। क्योंकि सुख एक खिंचाव है, दुख एक खिंचाव है। और तार जीवन के मध्य में होते हैं--सुख और दुख दोनों के पार होते हैं। वहीं वह जाना जाता है जो आत्मा है, जो जीवन है, जो आनंद है।
आत्मा तो निश्चित ही दोनों के अतीत है। और जब तक हम दोनों के अतीत आंख को नहीं ले जाते, तब तक आत्मा का हमें कोई अनुभव नहीं होगा।" ---ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
क्या आप दूसरों की आंखों में अपनी परछाईं देख कर जीते है?
क्या आप सपनों में जीते है?
हमारे सुख के सारे उपाय कहीं दुख को भुलाने के मार्ग ही तो नहीं है?
प्रेम से ज्यादा पवित्र और क्या है?
क्या आप भीतर से अमीर है ?
जीवन का अर्थ क्या है ?
सामग्री तालिका
अध्याय शीर्षक
#1: पहला सूत्र: आत्म-स्वतंत्रता का बोध
#2: दूसरा सूत्र: खोजें मत, ठहरें
#3: विचार-क्रांति
#4: स्वप्न से जागरण की और
#5: दुख के प्रति जागरण
#6: समस्त के प्रति प्रेम ही प्रार्थना है
#7: विश्वास: सत्य की खोज में सबसे बड़ी बाधा
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