जगत तरैया भोर की
Anand
Mon, 29/03/2021 - 11:11 am
जगत तरैया भोर की : पूर्ण प्यास एक निमंत्रण है वर्षा तो होती है। वर्षा तो हुई। दया पर हुई, सहजो पर हुई, मीरा पर हुई। तुम पर क्यों न होगी? वर्षा तो हुई है, वर्षा फिर-फिर होगी। प्यास चाहिए--गहन प्यास चाहिए। तुम्हारी प्यास जिस दिन पूर्ण है, उसी पूर्ण प्यास से वर्षा हो जाती है। तुम्हारी पूर्ण प्यास ही वर्षा का मेघ बन जाती है। प्यास और मेघ अलग-अलग नहीं हैं। तुम्हारी पुकार ही जिस दिन पूर्ण होती है, प्राणपण से होती है, जिस दिन तुम सब दांव पर लगा देते हो अपनी पुकार में, कुछ बचा नहीं रखते--उसी दिन परमात्मा प्रकट हो जाता है।
ओशो
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